1 जुलाई से सभी प्रोडक्ट्स और सर्विसेज पर जीएसटी लागू होने की वजह से रिटेल मार्केट और ऑनलाइन रिटेलर्स में हड़कंप मचा हुआ है। ऐसे में जीएसटी लागू होने से पहले ऑनलाइन सेलर्स अपना स्टॉक खाली करना चाहते हैं, इसके लिए वो इन प्रोडक्ट्स पर भारी छूट दे रहे हैं।
उन्हें डर है कि जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें इस उत्पादों पर नुकसान झेलना पड़ेगा। घड़ियों, स्पोर्ट्स और फिटनेस इक्विपमेंट समेत कई प्रोडक्ट पर 28 प्रतिशत तक जीएसटी लागू होना है। अभी इन सभी प्रोडक्ट्स पर कम वैट लागू हो रहा है, जिसमें सभी कर शामिल हैं।
गोदामों में मौजूद इन प्रोडक्ट्स पर जीएसटी से पहले के टैक्स रेट वाली कीमतें लागू हैं। निर्माता जीएसटी लागू होने के बाद ही इनकी कीमतों में बदलाव कर सकते हैं। ट्रेडर्स का कहना है कि वो मौजूदा स्टॉक का क्या करें। नया टैक्स सिस्टम लागू होने पर उन्हें उस पर नए टैक्स अदा करना पड़ेगा।
2500 ऑनलाइन सेलर्स की ऑनलाइन वेंडर्स एसोसिएशन का कहना है कि अगर हम उन सभी ब्रांड्स को इन उत्पादों को नए टैक्स सिस्टम के आधार पर बदलने के लिए कहते हैं तो इसके लिए हमें नुकसान के साथ-साथ नए टैक्स सिस्टम के लागू होने तक का इंतजार करना पड़ेगा।
ऐसी स्थिति में सभी ऑनलाइनट ट्रेडर्स प्री-जीएसटी स्टॉक को जल्द दे जल्द खाली कर लेना चाहते हैं, जिससे वो भारी नुकसान से बच सकें।
उन्हें डर है कि जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें इस उत्पादों पर नुकसान झेलना पड़ेगा। घड़ियों, स्पोर्ट्स और फिटनेस इक्विपमेंट समेत कई प्रोडक्ट पर 28 प्रतिशत तक जीएसटी लागू होना है। अभी इन सभी प्रोडक्ट्स पर कम वैट लागू हो रहा है, जिसमें सभी कर शामिल हैं।
गोदामों में मौजूद इन प्रोडक्ट्स पर जीएसटी से पहले के टैक्स रेट वाली कीमतें लागू हैं। निर्माता जीएसटी लागू होने के बाद ही इनकी कीमतों में बदलाव कर सकते हैं। ट्रेडर्स का कहना है कि वो मौजूदा स्टॉक का क्या करें। नया टैक्स सिस्टम लागू होने पर उन्हें उस पर नए टैक्स अदा करना पड़ेगा।
2500 ऑनलाइन सेलर्स की ऑनलाइन वेंडर्स एसोसिएशन का कहना है कि अगर हम उन सभी ब्रांड्स को इन उत्पादों को नए टैक्स सिस्टम के आधार पर बदलने के लिए कहते हैं तो इसके लिए हमें नुकसान के साथ-साथ नए टैक्स सिस्टम के लागू होने तक का इंतजार करना पड़ेगा।
ऐसी स्थिति में सभी ऑनलाइनट ट्रेडर्स प्री-जीएसटी स्टॉक को जल्द दे जल्द खाली कर लेना चाहते हैं, जिससे वो भारी नुकसान से बच सकें।
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