चलिए जानते है GST का इतिहास
GST का मसला वर्ष 1999 में पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आर्थिक सलाहकारों की बैठक बुलाई थी। ठक के बाद एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी के अध्यक्ष बने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्तमंत्री असिम दासगुप्ता।
फिर बनी केलकर कमेठी
2003 में वाजपेयी जी ने टैक्स रिफॉर्म के लिए एक कमेटी बनाई, जिसका अध्यक्ष बनाया गया विजय केलकर को। इसी दौरान केंद्र से बीजेपी की सरकार जा चुकी थी और 2004 में कांग्रेस की सरकार सत्ता पर आई। केलकर जी ने 2005 में 12 वें वित्त आयोग के सुझाव में जीएसटी लागू करने की सिफारिश की।
जब बीजेपी ने इसका विरोध किया
तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने 2006 में कहा कि 1 अप्रैल 2010 तक जीएसटी लागू कर देंगे। बीजेपी विपक्ष में थी इसलिये वही किया जो विपक्ष करता है। जमकर रोड़े अटकाए, इतने की जीएसटी 2010 में लागू नहीं हो पाया।
जब से अब तक GST को मिलती आ रही है तारीख पे तारीख
2011 में जीएसटी के लिए कांग्रेस सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक पेश किया, लेकिन बीजेपी ने फिर विरोध किया। वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने कहा 31 दिसम्बर 2012 तक जीएसटी लागू कर देंगे। खैर 2012 में भी जीएसटी लागू नहीं हो पाया। 2014 में सरकार बदल गई।
अब हल्ला बोलने की बारी कांग्रेस की थी
पाला बदल चुका था। सत्ता बीजेपी के हाथ में थी और विपक्ष में बैठी थी कांग्रेस। मई 2015 में बीजेपी ने लोकसभा में संशोधन बिल पेश किया। अब कांग्रेस ने वो किया जो कभी बीजेपी ने किया था। हां हां, वही विरोध। लिहाजा बिल राज्यसभा की स्टैण्डिंग कमेटी के पास भेज दिया गया।
अंतिम पड़ाव पर GST
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने समझदारी दिखाई और आपसी सहमति से 3 अगस्त 2016 को 122 वें संविधान संशोधन के साथ बिल पास हो गया। झट से इसे हस्ताक्षर के लिये राज्यों के पास भेजा गया, राज्यों ने भी फुर्ती दिखाई और 16 राज्यों की सहमति मिलने के बाद यह प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सितम्बर में जीएसटी पर हस्ताक्षर कर दिए। इसे लागू करने की समय सीमा 1 जुलाई 2017 रखी गई है।
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